Thursday, September 18, 2008

बचपन की yaadein

हिन्दी में लिखने का मज़ा ही कुछ और है ,
मैं ये ब्लॉग अपने उन दोस्तों के लिए बना रहा हूँ जो मेरे बारे मे जानते हैं या बहुत कम जानते हैं
मज़ा आ रहा हैं सब कुछ नया नया लग रहा हैं, कहाँ से सुरुआत करूँ कुछ समझ में नही आ रहा ।
बचन की उन यादो से सुरुआत करते हैं जो सबसे अच्छी हैं खुशी भी होती है और मज़ा भी आता है क्या क्या किया है । पापा अगर इस ब्लॉग को कभी भी पढ़ते हैं तो मेरी तो खैर नही ...

मॉफ करना प्लीज़ मैं सारे पात्रों का नाम बदल रहा हूँ सिवाय ख़ुद के
डे १ चौथी कक्षा, विद्यार्थी मनीष त्रिपाठी
प्रिया वहा चलते हैं पेड़ के पीछे ॥
प्रिया क्यों?
मुझे तुमसे कुछ कहना है
क्या...
चलो तो बताता हूँ बहुत ज़रूरी बात है
ठीक है चलो
................पेड़ के पीछे पहुँच कर ...............
प्रिया आइ लव यू
क्या ?
हम दोनों मैं और प्रिया वापस आ गए ॥ पर मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर गाना क्यो नही बजा । मैं ये इस लिए सोच रहा था की पिचली वाली रात की जब मैंने दूरदर्सन पर फ़िल्म देखि थी (प्यार झुकता नही ) तो हीरो हेरोइन इ लव यू बोलने का बाद ( पेड़ के पीछे जाकर ) गाना गाने लगे थे पर मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ।

ऐसा मेरे साथ केवल एक बार नही हुआ है मैंने ऐसी बहुत सारी हरकते की हैं ।
और आज तक हस्ता हूँ उन पर ....
मेरी बचपन से लड़कियों के साथ ज़्यादा दोस्ती हुआ करती थी , किसी ने मुझसे कहा था की मुझसे कुछएसी रेस निकलती हैं जो लड़कियों को attract करती है । एक बार जब मैंने ये बात एक बहुत ही ख़ास दोस्त को बताई तो वो हस पड़ी लेकिन मैं जनता हूँ की ये बात सच है ...........

मेरे बचपन में जब सारे विद्यार्थी क्लास नीचे बैठते थे मैं teacher की गोद में बैठताथा वो समय तो वापस नही आ सकते पर लिखते लिखते यादें ताज़ा हो रही हैं ।

मुझे आज भी याद है जब मैंने अपने एक दोस्त के सर पर चोट लगा दी थी । हुआ कुछ यूँ था की मेरी सुबह सुबह ही उससे लडाई हुई थी और लंच समय में मैंने खेलते खेलते ही एक पत्थर उछाल दिया और वो उसके सर पर आ गिरा और उसके सर से खून ही खून .............मैं तो डर गया था पर rupali madam ने बचा लिया था घर पर भी कोई complain नही हुई
Rupali madam अब इस दुनिया में नही है पर आप जहाँ भी हो मुझे लगता है आपके सरे students आप को याद आते होंगे । madam हमारा भी यही हाल है हम भी आप को नही भूल सकते आपने हमे जीना सिखाया है , चलना सिखाया है । आपका वो purse के अन्दर purse रखना हमेशा याद रहेगा । हम आपको हमेशा याद करते है ......

मैंने अभी कुछ दिनों पहले Amitabh ( मेरे बचपन का दोस्त) से बात की , मुझे लगा जैसे मैं उसी छोटे से प्यारे से amitabh से बात कर रहा था बचपन कुछ ज्यादा ही खूबसूरत होता है इसका पता तो हम सब को होता है और कभी कभी feel भी होता है । यादें याद आती है बातें भूल जाती है .................

1 comment:

Anonymous said...

Hey Manish,

Now thats what I call over sentimental. You've got a good memory indeed but above all you're a good story teller.

Remember you, me and Parag once decided in class 5th that our friendship will never break as it happened with our elder brothers. In CHS (Central Hindu School) we all were there and kept that promise. However, as soon as we left school our priorities, focus and even cities changed. Though, still we are just a phone call away.

I think sometime one can express him/herself much better in writing instead of talking. Isn't?

Keep Going!!!

Cheers,
Amitabh