Monday, October 6, 2008

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ...........

आज जब मुझे कविता "दुःख होता है जब तुम याद आते हो" याद आई तभी मैंने सोच लिया था की इसका उत्तर भी मैं आज ही लिखूंगा । इसी सन्दर्भ में मेरी नई कविता है...
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ...........

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ।
हर उस चोट का मरहम जो किसी ने दी
हर उस रात का मरहम जो बिन सोये कटी
हर उस गुनाह का मरहम जो नही हुआ
हर उस उस इंतज़ार का मरहम जो लंबा हुआ ।
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
आज फिर वक्त ने बदली है करवट
हर पुरानी बिमारी की दावा है मुझ पर
मैं हूँ खुश की सब कुछ नया नया है ।
कि अब मालूम चला सच्चा प्यार क्या है
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
वो भी क्या दिन थे जो उसके इशारो पर चल करते थे
सिर्फ़ और सिर्फ़ वो सोचा करते थे और
वो जो चाहते हम किया करते थे ।
अब सच में वक्त बदला है ख़ुद की मर्ज़ी चलती है

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥

6 comments:

Shastri JC Philip said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

शुभाशिष !

-- शास्त्री (www.Sarathi.info)

Shastri JC Philip said...

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिये निम्न कार्य करें: ब्लागस्पाट के अंदर जाकर --

Dahboard --> Setting --> Comments -->Show word verification for comments?

Select "No" and save!!

बस हो गया काम !!

लोकेश Lokesh said...

ब्लाग जगत में आपका स्वागत है

मथुरा कलौनी said...

स्‍वागत है।
फांट बड़े कर दें तो पढ़ने में सुविधा हो

प्रदीप मानोरिया said...

वक्त है मरहम बड़ा हर जख्म जो भरता सदा
वक्त की हर शह है जादू भूलना फितरत रहा
सुंदर रचना से तारुफ़ हुआ आपका बहुत स्वागत है
मेरे ब्लॉग पर आप पधारें ऐसी चाहत है

Anonymous said...

I never read poems...but your thoughts are very original ...and I really appreciate this peice of writing.