अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे में ही सिर्फ एक 'ना' के कारण दुनिया भर की नजरों में हठी और घमंडी बनने वाले सौरव गांगुली अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से न सिर्फ 'ऑफ साइड' के भगवान और देश के सबसे सफल कप्तान बने बल्कि उन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों में वापसी का जज्बा दिखाकर दुनिया भर के क्रिकेटरों और खेल प्रेमियों को अपना कायल भी बनाया।
गांगुली यानी महाराज को कुछ ने भले ही नकारात्मक रूप में पेश करने की कोशिश की हो लेकिन बाएं हाथ यह बल्लेबाज वास्तव में क्रिकेट का महाराज था जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को उस मुकाम पर पहुंचाया जिसकी उनके आगमन से पहले सिर्फ कल्पना की जाती थी। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज को लेकर कई सवाल उठते रहे लेकिन कोई इस बात को नहीं नकार सकता कि वह भारत के सबसे सफल कप्तान है। भारत को दूसरी टीमों में आतंक पैदा करने वाली टीम उन्होंने बनाया तथा एक दिवसीय क्रिकेट के वह सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में हमेशा शामिल रहेंगे।
कोलकाता के महाराज आस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में आज चौथे टेस्ट मैच में आखिरी बार अंतरराष्ट्रीय मैच में खिलाड़ी के तौर पर मैदान पर दिखे। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट के एक स्वर्णिम अध्याय का भी अंत हो गया जिसमें इस महान बल्लेबाज ने कई उपलब्धियां हासिल की, कई उतार-चढ़ाव देखे और कई विवादों से उनका वास्ता पड़ा। गांगुली ने अपने कैरियर में 113 टेस्ट मैच की 188 पारियों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए जिसमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल है। इसके अलावा 311 एक दिवसीय मैचों की 300 पारियों में उन्होंने 41.02 की औसत से 11363 रन बनाए है जिसमें 22 शतक और 72 अर्धशतक शामिल है।
गांगुली को 1992 में आस्ट्रेलियाई दौरे पर गई भारतीय टीम में जगह दी गई जहां उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिस्बेन में 11 जनवरी को अपना पहला एक दिवसीय मैच खेला लेकिन 12वें बल्लेबाज की भूमिका निभाने से इंकार करने के कारण उन पर हठी होने के आरोप लगे और अगले चार साल तक यह सितारा घरेलू क्रिकेट में खो गया। यह वह दौर था जब यह खिलाड़ी लोगों के लिए भले ही गुमनामी के अंधेरे में खो गया लेकिन वास्तव में वह जोरदार वापसी की तैयारियों में जुटा था। इसी के बाद क्रिकेट जगत पहली बार गांगुली के जज्बे और इच्छाशक्ति से परिचित हुआ।
गांगुली ने 1993 से 1995 तक रणजी ट्राफी में शानदार प्रदर्शन किया तथा 1995-96 में दिलीप ट्राफी में 171 रन की पारी से इंग्लैंड जाने वाली टीम में जगह बनाई। उन्होंने लार्ड्स में पहला टेस्ट मैच खेला। महान अंपायर डिकी बर्ड जब अपने अंतिम टेस्ट मैच के लिए उतर रहे थे तब दो दिग्गज बल्लेबाज गांगुली और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। बाद में द्रविड़ ने गांगुली के बारे में कहा था, 'ऑफ साइड में पहले भगवान है और उसके बाद गांगुली।' गांगुली ने इस मैच में 131 रन बनाए जो लार्ड्स में टेस्ट पदार्पण पर अब भी उच्चतम स्कोर है। उन्होंने फिर ट्रेंटब्रिज में 136 रन की लाजवाब पारी खेली।
'दादा' के नाम से भी मशहूर गांगुली वर्ष 2000 में कप्तान बने जिसके बाद भारतीय क्रिकेट का एक नया अध्याय शुरू हुआ और उनके पहले कोच गोपाल बोस ने कहा, 'भारतीय क्रिकेट को आजादी उस दिन मिली थी जब गांगुली ने लार्ड्स में अपनी शर्ट निकालकर घुमाई थी।' गांगुली की सबसे बड़ी उपलब्धि हालांकि भारतीय टीम को पिरोकर उसे विजेता बनाना रहा। उन्होंने 49 मैच में कप्तानी की जिसमें 21 में भारत जीता और इसमें भी 12 मैच उसने विदेशी धरती पर जीते। गांगुली की अगुवाई में भारत ने आस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को उसकी सरजमीं पर हराया। भारत ने 2001 में जब आस्ट्रेलिया को अपनी सरजमीं पर सीरीज में हराया था तो गांगुली ही कप्तान थे।
यह भी संयोग है कि गांगुली की सिफारिश पर चैपल को कोच बनाया गया जिनके कारण आखिर में न सिर्फ उनकी कप्तानी छिनी बल्कि वह भारतीय टीम से भी बाहर हुए। 2005 के बाद उनके लिए संघर्ष भरे दिन रहे। उन्हें टीम से अंदर बाहर किया जाता रहा और 2006 में तो उन्हें लगभग दस महीन वनवास में बिताने पड़े। गांगुली ने 2006 के अंत में ही दक्षिण अफ्रीका में वापसी की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 2007 में दस टेस्ट मैचों में 61.44 की औसत से 1106 रन बनाए। इस बीच उन्होंने अपने घरेलू मैदान ईडन गार्डस पर टेस्ट शतक और अपना पहला दोहरा शतक [पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलूर में 239 रन] बनाया। यह भी संयोग है कि गांगुली ने नागपुर में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला। यही वह शहर है जहां चार साल पहले आस्ट्रेलिया के खिलाफ विभिन्न कारणों से वह नहीं खेले थे।
गांगुली के कैरियर का घटनाक्रम:
जनवरी 1992 - वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिसबेन में एक दिवसीय क्रिकेट में पदार्पण। तीन रन बनाकर आउट और टीम से बाहर।
जून 1996 - इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स में पदार्पण टेस्ट में ही शतक जमाया। ट्रेंट ब्रिज में अगले टेस्ट मैच में भी शतक जमाया।
अगस्त 1997 - कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ एक दिवसीय मैचों में अपना पहला शतक जमाया।
सितंबर 1997 - पाकिस्तान के खिलाफ सहारा कप में भारत की 4-1 से जीत में सर्वाधिक रन बनाने और विकेट लेने वाले खिलाड़ी। गांगुली ने 55.5 की औसत से 222 रन और 10.66 की औसत से 15 विकेट लिए। उन्हें चार मैच में मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।
नवंबर-दिसंबर 1997 - श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की घरेलू सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज। उन्होंने 98.00 की औसत से 392 रन बनाए।
मई 1999 - श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप मैच में टांटन में 183 रन बनाए जो उस समय एक दिवसीय मैचों में किसी भारतीय का सर्वाधिक स्कोर था।
सितंबर 1999 - सचिन तेंदुलकर के चोटिल होने के कारण हटने से सिंगापुर चैलेंज में पहली बार एक दिवसीय मैचों में भारत की कप्तानी की।
फरवरी 2000 - लंकाशर से जुड़े।
फरवरी 2000 - तेंदुलकर के कप्तानी पद से इस्तीफे के बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज के लिए कप्तान नियुक्त।
मार्च 2001 - भारत को आस्ट्रेलिया पर अपनी सरजमीं में 2-1 से ऐतिहासिक जीत दिलाई।
नवंबर 2001 - गांगुली और पांच अन्य भारतीयों को पोर्ट एलिजाबेथ टेस्ट के दौरान मैच रेफरी माइक डेनेस ने अधिक अपील करने के लिए आगाह किया। एक टेस्ट मैच और पांच एक दिवसीय मैचों का निलंबित प्रतिबंध लगाया।
जुलाई 2002 - भारत की नेटवेस्ट सीरीज फाइनल में जीत के बाद लार्ड्स की बालकनी में शर्ट निकालकर लहराई।
मार्च 2003 - भारतीय टीम को विश्व कप फाइनल तक पहुंचाया।
अप्रैल 2004 - पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान बने। इसके साथ ही 15 टेस्ट जीत के साथ भारत के सबसे सफल कप्तान बने।
अक्टूबर 2004 - भारत ने 35 साल बाद आस्ट्रेलिया से घरेलू सीरीज गंवाई।
मार्च 2005 - पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज ड्रा करवाई।
अप्रैल 2005 - पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय सीरीज के दौरान धीमी ओवर गति के लिए छह मैच का प्रतिबंध। भारत सीरीज 2-4 से हारा।
सितंबर 2005 - जिम्बाब्वे में खुलासा किया कि कोच ग्रेग चैपल ने उनसे कप्तानी छोड़ने के लिए कहा था।
नवंबर 2005 - टेस्ट कप्तानी के पांच साल के कार्यकाल का अंत। राहुल द्रविड़ नए कप्तान बने।
जनवरी 2006 - पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए चुने गए।
दिसंबर 2006 - दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में वापसी। सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज।
जनवरी 2006 - एक दिवसीय मैचों में वापसी। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच में ही 98 रन बनाए।
जुलाई-अगस्त 2007 - इंग्लैंड के खिलाफ भारत की जीत में 49.80 की औसत से 249 रन बनाए।
नवंबर-दिसंबर 2007 - पाकिस्तान के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में सर्वाधिक 534 रन बनाए। मैन ऑफ द सीरीज बने। पहली बार अपने घरेलू मैदान ईडन गार्डस पर शतक जड़ा। बेंगलूर में अगले मैच में पहला दोहरा शतक बनाया।
दिसंबर 2007 से जनवरी 2008 - आस्ट्रेलिया के खिलाफ मिश्रित सफलता। दो अर्धशतक 29.37 की औसत से रन बनाए। एक दिवसीय टीम से बाहर।
अक्टूबर 2008 - आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद संन्यास लेने की घोषणा की।
दस नवंबर 2008 - आस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में अपने कैरियर का अंतिम टेस्ट मैच में खेला। भारत इस मैच को 172 रन से जीता और आठ साल के बाद बोर्डर-गावस्कर ट्राफी पर कब्जा जमाया।
-लेख दैनिक जागरण मे प्रकाशित
27 Years old living in Vadodara(India) and working in MNC, Like others my story is also same the shift from needy child to selfreliant adult. There were struggles in finding an identity, carving a future, meeting a mate, friendship upheavals and job distresses. I believe in persevering when all the odds are against you, when every cell in your body tells you that you can't, but you go ahead and do anyway. I believe in taking risks and embracing a life of uncertainity.
Monday, November 10, 2008
याद आएगी दादा कि दादागिरी.............
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
surely we will miss dada
we love dada
gaguly has caliber of making hundreds of centuries
being a bangali i proud on ganguly
All of India will miss this elegant left-handed batsmen, the bengal tiger.
Post a Comment