Thursday, November 13, 2008

सूनी राहों मे


सूनी राहों मे ...
कभी कभी मैं सोचने लगता हूँ
कौन रहता है इन सूनी राहों मे ।
लगता है कोई तो है जो छुप जाता
कोई तो है जो बार बार बुलाता है
चलो आज उसको ढूढते है
जो बार बार बुलाता है इन सूनी राहों से
जैसे जैसे उम्र बढ़ रही है
कुछ दिख रहा है इन सुनी राहों से
अरे ये तो बेईमानी है जो मुझे बुला रही है
अरे ये तो झूठ है जो मुझे पुकार रहा है
कभी कभी मैं सोचने लगता हूँ
कौन रहता है इन सूनी राहों मे ।
और अब मैं सोच रहा हूँ
क्यों तलाश हैं मुझे अंधेरों की
जब सच्चई का सवेरा बाहें पसारे खड़ा है
क्यों तलाश है मुझे बेईमानी की
जब ईमानदारी का उजाला होने को है
कभी कभी मैं सोचने लगता हूँ
कौन रहता है इन सूनी राहों मे ।
छोड़ो जाने दो इन सुनी राहों को
अब क्या करना है जान कर
जब कोई पराया रहने वाला हैं
इन राहों मे ।

1 comment:

Jimmy said...

very nice work dude!!!!!!!!


Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji

http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/

Etc...........