Friday, September 19, 2008

वो बरसात का दिन






छोटे बच्चों को बारिश में बहुत मज़ा आता है हमे भी आता था , पर वो दिन मेरे क्लास के स्टूडेंट्स शायद ही कभी भूल पाए । हमारी क्लास टीचर उस दिन छुट्टी पर थी मेरी क्लास में केवल 3२ स्टूडेंट्स थे२४ लड़किया और ८ लड़के मुझे तो अब तक सबके नाम याद है उनमे मेरे जो सबसे आछे दोस्त थे उनके नाम है अमिताभ , पराग , विजया , स्मिता , सुशांत , प्रांजल, सोनल , पल्लवी, .................. मुझे लग रहा है बचपन में तो सभी बेस्ट फ्रेंड होते है । तो हम सब भी बेस्ट फ्रेंड थे .... सभी बेस्ट फ्रेंड । तो मैं बता रहा था की हमारी क्लास टीचर छुट्टी पर थी ( संध्या सिंह मैडम ) हम जैसे ही प्रेयर के बाद क्लास में पहुंचे बरसात होने लगी , फ़िर एक एक कर के सभी बहार ग्राउंड में जाकर खेलने लगे और सभी भीग गए । अब स्कूल में तो इतने स्पेयर में कपडे होते नही तो कुछको मिले कुछ को नही । हम सभी टीचर्स रूम में कुछ इस तरह से छुपे थे अलमारियों के एक तरफ़ लड़के और लड़कियां दूसरी तरफ़ । हम इतना शर्मा रहे थे की एक घंटे तक हम इसी तरह छुपे रहे जब तक हमारी स्कूल मेट नही आई । उसके बाद हम इस तरह से मस्त होकर कभी नही भीगे ।

संध्या सिंह मैडम मुझे लगता है मेरी सबसे अच्छी क्लास टीचर रही है पूरी क्लास को अपने बच्चों को तरह समझना और कभी भी गुस्सा नही करना। वो उनका प्यार ही था कि वो नर्सरी बी से क्लास ५ तक हमारी क्लास टीचर बनी रही । मेरे पास जो फोटोग्राफ्स है उनमे केवल शायद क्लास ४ में वो ग्रुप फोटो में नही है । मेरे दोस्त इस बात को अच्छी तरह से समझते होंगे कि जो प्यार, मस्ती, और अच्छे दोस्त तब मिल गए शायद बाद में नही मिले ।
मैं यहाँ से उन दोस्तों को भी याद करना चाहता हूँ जिनको मैं क्लास ५ के बाद कभी नही मिला खास तौर पे मेरी उन दोस्तों को जो क्लास ६ से गर्ल्स स्कूल में चली गई ................ बाद में मैं केवल स्मिता और अर्चना से मिला हूँ।

मेरी क्लास हमसब कि यादों में एकदम ताज़ा और खुशनुमा हवा का झोंका है ................................................ दोस्तों ये बात तो पक्की है कि ये सब पढ़ने के बाद जरूर वो वक्त याद आ जाएगा ।

Thursday, September 18, 2008

बचपन की yaadein

हिन्दी में लिखने का मज़ा ही कुछ और है ,
मैं ये ब्लॉग अपने उन दोस्तों के लिए बना रहा हूँ जो मेरे बारे मे जानते हैं या बहुत कम जानते हैं
मज़ा आ रहा हैं सब कुछ नया नया लग रहा हैं, कहाँ से सुरुआत करूँ कुछ समझ में नही आ रहा ।
बचन की उन यादो से सुरुआत करते हैं जो सबसे अच्छी हैं खुशी भी होती है और मज़ा भी आता है क्या क्या किया है । पापा अगर इस ब्लॉग को कभी भी पढ़ते हैं तो मेरी तो खैर नही ...

मॉफ करना प्लीज़ मैं सारे पात्रों का नाम बदल रहा हूँ सिवाय ख़ुद के
डे १ चौथी कक्षा, विद्यार्थी मनीष त्रिपाठी
प्रिया वहा चलते हैं पेड़ के पीछे ॥
प्रिया क्यों?
मुझे तुमसे कुछ कहना है
क्या...
चलो तो बताता हूँ बहुत ज़रूरी बात है
ठीक है चलो
................पेड़ के पीछे पहुँच कर ...............
प्रिया आइ लव यू
क्या ?
हम दोनों मैं और प्रिया वापस आ गए ॥ पर मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर गाना क्यो नही बजा । मैं ये इस लिए सोच रहा था की पिचली वाली रात की जब मैंने दूरदर्सन पर फ़िल्म देखि थी (प्यार झुकता नही ) तो हीरो हेरोइन इ लव यू बोलने का बाद ( पेड़ के पीछे जाकर ) गाना गाने लगे थे पर मेरे साथ ऐसा कुछ नही हुआ।

ऐसा मेरे साथ केवल एक बार नही हुआ है मैंने ऐसी बहुत सारी हरकते की हैं ।
और आज तक हस्ता हूँ उन पर ....
मेरी बचपन से लड़कियों के साथ ज़्यादा दोस्ती हुआ करती थी , किसी ने मुझसे कहा था की मुझसे कुछएसी रेस निकलती हैं जो लड़कियों को attract करती है । एक बार जब मैंने ये बात एक बहुत ही ख़ास दोस्त को बताई तो वो हस पड़ी लेकिन मैं जनता हूँ की ये बात सच है ...........

मेरे बचपन में जब सारे विद्यार्थी क्लास नीचे बैठते थे मैं teacher की गोद में बैठताथा वो समय तो वापस नही आ सकते पर लिखते लिखते यादें ताज़ा हो रही हैं ।

मुझे आज भी याद है जब मैंने अपने एक दोस्त के सर पर चोट लगा दी थी । हुआ कुछ यूँ था की मेरी सुबह सुबह ही उससे लडाई हुई थी और लंच समय में मैंने खेलते खेलते ही एक पत्थर उछाल दिया और वो उसके सर पर आ गिरा और उसके सर से खून ही खून .............मैं तो डर गया था पर rupali madam ने बचा लिया था घर पर भी कोई complain नही हुई
Rupali madam अब इस दुनिया में नही है पर आप जहाँ भी हो मुझे लगता है आपके सरे students आप को याद आते होंगे । madam हमारा भी यही हाल है हम भी आप को नही भूल सकते आपने हमे जीना सिखाया है , चलना सिखाया है । आपका वो purse के अन्दर purse रखना हमेशा याद रहेगा । हम आपको हमेशा याद करते है ......

मैंने अभी कुछ दिनों पहले Amitabh ( मेरे बचपन का दोस्त) से बात की , मुझे लगा जैसे मैं उसी छोटे से प्यारे से amitabh से बात कर रहा था बचपन कुछ ज्यादा ही खूबसूरत होता है इसका पता तो हम सब को होता है और कभी कभी feel भी होता है । यादें याद आती है बातें भूल जाती है .................

Just take care of my eyes dear




I am very much jittery of starting writing today, as when I think of my old days (specially engineering days) I think how much I was blind in love? Forget this and let’s read a story about a blind boy (not from his eyes but blind from his mind).

The girl was beautiful, loveable and intelligent and full of qualities he wanted in his love but she was blind, so want? Boy was in love and for him eyes didn’t matter as he showed Sun, Moon, Flowers and the beautiful creatures of the almighty to the girl through his eyes.

For the girl only that boy was her true love, she had desire of looking beautiful world with her own eyes but she was more than happy with listening about the world from spectacular speaker she had (the boy), she used to pray to god that the boy always remain with her as for her he was only inspiration of living. One day someone donated a pair of eyes to her and then she could see everything including her Boyfriend.

But she waited to look at her boy friend first, but he was not there, the wait of boyfriend created more desire in her heart. And after few days he came, she saw him.
Her boyfriend asked her, "Now you can see the world, will you marry me?" The girl was shocked after seeing her boyfriend is blind too, and she refused to marry him.
Her boyfriend walked away in tears, and later wrote a letter to her saying. "Just take care of my eyes dear."

I don’t want to blame any body but this is how the mind changes with change in situation.
Believe that Life is a gift and people who take care of yourself are special and never change your attitude towards them.
When you will analyze you will find all good people are caretakers to you. The story I told you is only to create interest and an approach towards reading this article so that I can make you understand easily some truths of life. We do pray because we are followers of our old customs and thinking without exactly knowing when it got started then why we can’t follow those thinking which are ideal ideologies to the world? Why we don’t follow Mahatma Gandi?
We are not following because we are conservative toward other’s happiness and we want us to be most happy person on this planet. Story told the way attitude of Girl changed because of selfish motive.
God has gifted us number of sensuous organs; think for a minute are we properly utilizing those organs? When we meet god will not he ask how we utilized his eyes?

Think of it again and again think of it when you are going to hurt someone ……………………

Manish Tripathi