Thursday, October 9, 2008

मेरा पहला Gtalk Flirt .... पूरा खेल

मैं : हाय ............
मेरी दोस्त : हाय ............ कैसे हो ।
मैं : ठीक और तुम /

मेरी दोस्त : काफी लंबा समय हो गया हमे बात किए हुए मैं ठीक हूँ
3:34 pm मैं: हाँ हो गया
मेरी दोस्त: तुमने मुझे orkut पर कैसे खोजा
मैं: क्या अभी Head फ़ोन है
मेरी दोस्त: तू अगर ( कुछ जो मैं नही लिख सकता ) नही लिखता , मैं add भी नही करती
मैं: पता है
मेरी दोस्त: और क्या कर रहे हो आज कल
3:35 PM मैं: इसी लिए लिखा था
मेरी दोस्त: ok मैं: बस अभी MBA ख़तम होने वाला है बाद में कोई MNC
मेरी दोस्त : अभी गुडगाँव से mba कर रहे हो
मैं : हाँ मेरी दोस्त: किस subject से
मैं: तुम भी यही हो क्या यार power management से
मेरी दोस्त: OK नही नॉएडा में 3:37 PM
मैं: हाँ वो तो पहले तुमने बताया था
मेरी दोस्त : हा तो वहीँ की वहां हूँ और बताओ शादी कब कर रहे हो ?
मैं: और किस organization में हो दिल्ली आज तक
मेरी दोस्त: नही CNBC आवाज़
3:38 PM मैं: क्यो करोगी क्या?
मेरी दोस्त : तुमने propose किया था न मुझ को
मैं: तुम्हे सब कुछ याद है

मेरी दोस्त: मैं भूलती कुछ नही
मेरी दोस्त : मैं अपनी शादी पर बुलौंगी तो आओगे
मैं: क्यो नही , शादी किससे करोगी नही तो
मेरी दोस्त: तुम कहा रहोगे अब
मैं : यही तुम्हरे बगल में
मेरी दोस्त : पर कहाँ
मैं: यहीं फरीदाबाद में
मेरी दोस्त : तो फरीदाबाद में शादी करोगे
3:39 PMमैं: नही जहाँ तुम करोगी वहाँ
मेरी दोस्त: पर तुमने आज तक मुझे देखा नही है न , शादी की बड़ी बड़ी बातें करते हो
मैं : क्या फर्क पड़ता है तुम्हारी आवाज की तो कई बार तारीफ की है न और तुमको देखा भी है .......... पर मुझे तुमने नही देखा है
मेरी दोस्त : देखा है तुम्हे याद नही । तुम नॉएडा मुझसे मिलने आए थे ,
मैं: नही तो मैं कभी नही आया ....... तुम्हे कुछ ग़लतफ़हमी हुई है ।
(...................... कुछ imotional बातें .................................... जो मैं बता नही सकता मुझे मॉफ कर दीजियेगा )
3:44 PM मेरी दोस्त: छोड़ो इस मामले को, तुमको कभी मिली नही पर ऐसा लगता है की तुम मेरे अच्छे दोस्त हो
मेरी दोस्त: अच्छा ये बताओ तुमने मुझे orkut पर कैसे खोजा
मैं: तभी तो मेरी साडी बातें याद रखती हो
मेरी दोस्त : मतलब hummmmmmmmmmmmmmm.....
मेरी दोस्त: मैं अपने किसी दोस्त को नही भूलती
मैं : और मैं तुम्हे
मेरी दोस्त : क्या मतलब

मैं : अरे friendship जाता रहा हूँ
3:46 PM मेरी दोस्त: ओके
मैं: बस याद आती रही मैं खोजता रहा और सच्चे दिल से मांगने पर तो कुछ भी मिल जाता
है मेरी दोस्त : लव मैरिज़ या arrange कर रहे हो
मैं: तुम्हे क्या लगता है definately हमारी arrange शादी कौन कराएगा
मेरी दोस्त; अब शैतानी बंद ।
मैं : नही अभी तो शुरू हुई है
मेरी दोस्त : बस मनीष अब तुम बड़े हो गए हो अब तुम वो लड़के नही रहे जो नेट पर गिर्ल्स पटते थे

मैं: केवल तुमको ही तो नेट खोजा था
3:50 PM मेरी दोस्त: और क्या करोगे लव मैरिज़
मैं: अब जब प्यार है तो हम लव मैरिज़ ही करेंगे ।


मेरी दोस्त: मैं सिर्फ़ तुम्हारी बात कर रही हूँ
मैं : और ख़ुद को भूल गई आर यू दीअर ?
मेरी दोस्त: निश्चित तौर पर हूँ मनीष तुम्हारा नम्बर देना
मैं: ओके लिखो 09911674770
मेरी दोस्त: मेरा नही मांगोगे
मैं : क्यों? नही इतना प्यार करता हूँ फ़ोन नम्बर तो जरुर मांगूंगा बोला क्या नम्बर है
मेरी दोस्त : 098998------
3:52 PM मैं :धन्यवाद
मेरी दोस्त: क्या यार दिल तोड़ दिया
मैं : तो क्या हुआ है तो मेरा ही न
मेरी दोस्त : यू आर रियल फ्लिर्ट
मैं: यस् आई ऍम
खुश किस्मत वाला होगा वो जिस के पास आप जैसी लड़की जायेगी
मेरी दोस्त : सच
मैं : बिल्कुल
मेरी दोस्त: अब तो मन हो रहा है तुम ही से शादी कर लूँ
मैं : यार मैं हमेशा से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ
मेरी दोस्त: तो कभी बोला क्यों नही
3:56 PM मैं: लो बोल देता हूँ आई लव यू
मेरी दोस्त: पक्का
मैं : हाँ आई लव यू लायिक माई गुड फ्रेंड।
मेरी दोस्त: बदल दिया जवाब मैं: नही अभी दोस्ती बाद में प्यार
मेरी दोस्त: मैं अगले जनम में तुम्हारा इंतज़ार करुँगी
मैं : अपने बॉय फ्रेंड को धोखा दे रही हो
मेरी दोस्त: तुम्हारे जैसा प्यार करने वाला मिलेगा तो कोई किसी को भी धोखा दे सकता है
मैं : तो नेक्स्ट लाइफ का इंतज़ार करे
अभी मुझे जाना है
मेरी दोस्त: तुम कब कब ऑनलाइन होते हो
मैं: जब दिल से याद करोगी मुझे ऑनलाइन पाओगी
4:00 PM: मैं: ओके मैं अभी चलता हूँ
मेरी दोस्त: रुक नही सकते कुछ देर
मैं: plzzzzzzzz मुझे जाना है
मेरी दोस्त: फ़ोन करना
मैं : ओके
byy n tc
मेरी दोस्त: byeeeeeeeeeeee n take care
seee you
byeeeeeeeeee
love you ...............

मेरा नया ब्लॉग

प्यारे दोस्तों ,
शुभ दिवस आज से मैं अपना एक नया ब्लॉग सुरु कर रहा हूँ
http://www.mainvaranasise.blogspot.com/ । इसके पीछे मेरा एक तर्क यह है की मेरे इस ब्लॉग पर आने वाले कई लोग बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्तिव के धनी है , जबकि मैं इस ब्लॉग पर ज्यादातर लेख युवा दोस्तों को ध्यान में रख कर लिखता हूँ । अत: मैंने सम्मानित लोगों को ध्यान में रख कर नया ब्लॉग शुरू किया है ।
उम्मीद है है की आप लोगों को पसंद आएगा
मनीष

Wednesday, October 8, 2008

मथुरा कलौनी को धन्यवाद्


मथुरा जी अच्छा लगा आपका कमेन्ट , असल में आप जैसे बड़े लोगों के कमेन्ट मुझे उत्साहित करने के साथ साथ थोड़ा जिमेदारी का एहसास भी करा रहे है । हिन्दी भाषा अपने आप में एक कला है और मैंने केवल कक्षा ८ तक हिन्दी पढ़ी है । मेरी गलतियों के लिए छमा करने की कृपा करियेगा । मैंने आपकी बात को सम्मान रखते हुए फाँट बड़ा कर दिया है । आपका मनीष

Tuesday, October 7, 2008

शास्त्री जी का उत्साहवर्धन

शास्त्री जी का परिचय कुछ इस तरह से ब्लॉग में लिखा है,
शास्त्री जी एक वैज्ञानिक (भौतिकी, औषध शास्त्र, पुरावस्तु शास्त्र) हैं एवं भारतीय सामाजिक नवोत्थान के लिये चिट्ठालेखन करते हैं! उनका मुख चिट्ठा सारथी: www।Sarathi.info पर है! उन्होंने 3 भाषाओं में 60 से अधिक पुस्तकें एवं 6000 से अधिक लेखों की रचना की है एवं उनके द्वारा रचित 10,00,000 से अधिक ईपुस्तकें प्रति वर्ष वितरित होती हैं.

इतने प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के कमेंट्स पढ़ कर बहुत अच्छा लगा और गजब का उत्साह बढ़ा है।

शास्त्री जी मैं आपका शुक्रगुजार हूँ की अपने मुझ जैसे हिन्दी की कम समझ वाली व्यक्ति के लेख को पढ़ कर कुछ कमेंट्स किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद् ।

Monday, October 6, 2008

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ...........

आज जब मुझे कविता "दुःख होता है जब तुम याद आते हो" याद आई तभी मैंने सोच लिया था की इसका उत्तर भी मैं आज ही लिखूंगा । इसी सन्दर्भ में मेरी नई कविता है...
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ...........

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ।
हर उस चोट का मरहम जो किसी ने दी
हर उस रात का मरहम जो बिन सोये कटी
हर उस गुनाह का मरहम जो नही हुआ
हर उस उस इंतज़ार का मरहम जो लंबा हुआ ।
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
आज फिर वक्त ने बदली है करवट
हर पुरानी बिमारी की दावा है मुझ पर
मैं हूँ खुश की सब कुछ नया नया है ।
कि अब मालूम चला सच्चा प्यार क्या है
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
वो भी क्या दिन थे जो उसके इशारो पर चल करते थे
सिर्फ़ और सिर्फ़ वो सोचा करते थे और
वो जो चाहते हम किया करते थे ।
अब सच में वक्त बदला है ख़ुद की मर्ज़ी चलती है

वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥
वक्त के पास है हर चोट का मरहम ॥

दुःख होता है जब तुम याद आते हो ...........

दुःख होता है जब तुम याद आते हो ।
दर्द होता है जब तुम याद आते हो ।।
न कोई रिश्ता है न बंधन ,
न जाने क्यो याद आते हो ।
दुःख होता है जब तुम याद आते हो ।
दर्द होता है जब तुम याद आते हो ।।
कुछ वक्त था गुज़ारा हमने साथ
उन दिनों हर वक्त दिया था तुमने साथ
खुशी थी तो साथ हँसते थे
दुःख था तो साथ बाटते थे
फ़िर क्यों आज नही करते तुम बात
यूँ न जाने क्यो इतना तड़पाते हो ।
दुःख होता है जब तुम याद आते हो ।
दर्द होता है जब तुम याद आते हो ।।

तुमको भी था पता की मैं नही हूँ ग़लत
हमको भी था पता की तुम नही हो ग़लत
फ़िर न जाने क्यो छोड़ दिया तुमने साथ
न जाने क्यों भीड़ भरी अनजान राहों में छोड़ दिया मेरा हाथ
सोचो ऐसे ही क्या तुम हर अपने को सताते हो
दुःख होता है जब तुम याद आते हो ।
दर्द होता है जब तुम याद आते हो ।।

..................मनीष

बहुत पहले मैंने ये लिखा था पर आज तक याद है