Saturday, December 26, 2009

ज़िन्दगी कि सच्ची सिखा गए.........

मैं जैसे ही अन्दर घुसा, मेरी साँसे थम गयी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि यहाँ भी इस्सी से मुलाक़ात होगी , मैं तो यहाँ मेरे डॉक्टर- दोस्त से मिलने आया था, लेकिन यहाँ तो नज़ारा बदला हुआ था राकेश जो हमेशा टेढ़ी नज़र से देखा करता था आज कुछ सुस्त सुस्त सा नज़र आ रहा था और आखों मे आसूं भी थे ................
डॉक्टर - दोस्त से मिलने पर पता चला कि राकेश के मिलेट्री पापा आखिरी सासें गिन रहे थे , राकेश आज वो हर कुछ कर रहा था जिससे उसके पापा कि जान बच सके । आज कोई भी रिश्तेदार भी साथ देने को नहीं थे ..............

और अंत मे पता चला कि उसके पापा दुनिया छोड़ कर चले गए और राकेश को ज़िन्दगी कि सच्चाई सिखा गए।
मेहनत करना जरूरी है ....... और पैसे भी जरूरी है।

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