वैसे तो दिल्ली का ट्रिप अच्छा रहा पर पूरे समय मैं अपनी बेवकूफी पर पछताता रहा। और शायद बनारस पहुँच कर मैडम को भी लगा होगा की अगर मनीष यहाँ होता ज़रूर पूरा बनारस घूमता शायद ये मेरे दिल की आवाज़ थी कि अगर मैं वहां होता तो हम पूरा बनारस साथ घूमते।
DAY ४२ (शायद)
G.T .Road के दूसरी तरफ़ ..... रेस्टुरेंट के सामने
9:20 AM
आज भी मौसम काफी ज़्यादा ठंडा था बल्कि शायद आज का दिन हो मेरे लिए पूरी तरह से ठंडा होने वाला था , पर इस बात का एहसास मुझे अभी नही था । मैं तो आज भी वैसे ही रोज़ कि तरह खुशी खुशी G।T.Road तक पहुंच जाना चाहता था ।
मैडम: मनीष कैसा रहा तुम्हारा Exam ।
मैं: ठीक नही हुआ , मैंने कोई तयारी नही कि थी । आपका कैसा हुआ ?
मैडम: मेरा Exam तो अच्छा हुआ।
इसके बात पता नही क्यों वो कुछ देर तक चुप सी हो गई ?
मैं: क्या हुआ?
मैडम: कुछ नही , आज तुम्हारी लास्ट क्लास कब ख़तम हो रही है ।
मैं: आज तो last period तक क्लास है ।
मैडम: ठीकहै, चलो बाद मे मिलते हैं तुमसे कुछ कहना है।
उन्होंने दाई और से आती कोलेज बस को देखते हुए कहा और बस कुछ ही पल मे वो बस पर चढ़ कर चली गई । आज उनका चेहरा कुछ परेशान लग रहा था शायद अगर वो यही बात खुशी से बोलते तो मैं कुछ और सोच रहा होता , लेकिन बात अहम् और गंभीर लग रही थी । और मैं भी परेशान हो गया था ,न जाने कैसे कैसे ख्याल मेरे दिमाग मे आने लगे थे । किसी तरह से कोलेज ख़तम होने पर मैं कोलेज के गेट के बहार मैडम का इंतज़ार करने लगा , आज विवेक से मैंने बाइक मांग ली थी ।
5:00 PM कोलेज के गेट पर ................
मैडम मुझे मेरी ओर आती हुई नज़र आई और मैंने उनके अपने साथ बीके पर चलने को इनवाईट किया । वो बेहिचक साथ चलने को तैयार हो गई थी।
हम बिना बात किए हुए रेस्टुरेंट के सामने तक आ चुके थे इस बात का कारण मुझे नही पता कि ऐसा क्यों हुआ ?
रेस्टुरेंट के सामने
मैडम: मनीष तुम्हे भूख तो नही लगी ।
मैं: हाँ कुछ कुछ तो लगी है ।
मैडम : चलो चल कर कुछ खाते है।
मैं: ठीक है चलिए।
मैडम: चलो ।
रेस्टुरेंट के अन्दर ... सीडियां उताकर कर नीचे
बिल्कुल ideal date का महाल था । पर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था । हलकी हलकी रौशनी चरों ओर फैली हुई थी , गाना भी महाल के मुताबिक ही बज रहा था ....
प्यार को हो जाने दो...
प्यार मे खो जाने दो
इंतजार किसा है .... ऐतबार किसका है ...
अभी न हुआ तो फ़िर कभी नही कभी नही ...
ला ल ला ... ला ल ला...
मैडम: क्या पसंद है?
मैं: जो बोलो वही ।
मैडम: पिज्जा .....
मैं: ओके ।
मैडम: वेटर वन गार्लिक मीडियम पिज्जा विद एक्स्ट्रा चीज़ एंड वन कोक ।
मैं: एंड टू ग्लासएज ।
वेटर : ओके मैडम , स्माल वेट ऑफ़ १० मिनट।
मैं: कानपूर के वेटर भी अच्छी इंग्लिश बोलने लगें है ।
मैडम: हाँ ।
मैं: ( माहौल को समझाते हुए) आप कुछ सुबह बोल रहीं थी ।
मैडम: हाँ ।
मैं: क्या?
मैडम: देखो मनीष मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन मे क्या चल रहा है । पर ये सब नही हो सकता , हाँ रही फ्रेंडशिप कि बात तो वो हमारी है । मैं तुम्हारी भावनाओ कि कद्र करती हूँ , मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा लगता अह पर हर चीज़ कि एक लिमिट होती है ।
एक साँस मे इतनी बात बोल दी उन्होंने कि मैं कुछ बोल ही नही पाया ।
मैडम: तुम समझ रहे हो न मैं क्या बोल रही हूँ ।
मैं: हाँ ।
मैडम: अभी पढ़ाई पर दिमाग लगाओ ।
मैं: हाँ
मैडम: एक बात और मैं तुम्हे टॉप करते हुए देखना चाहती हूँ।
मैं: ओके
मैडम: मनीष मैं अब यहाँ से जा रहीं हूँ कल मेरा लास्ट डे है ।
मैं: क्या ?
मैडम: हाँ कुछ दिन पहले मेरा DRDO (Defence Research and Development Organisation ) का रिजल्ट आया है और अब मैं पुणे जा रही हूँ ।
मैं: congrats...
मैडम: थैंक यू । और तुम अपना ख्याल रखना ।
फ़िर हमने शान्ति से पिज्जा खाया , और अपने अपने घर वापस आ गए पर चलने से पहले चलते चलते उन्होंने मेरा हाथ अपने दोनों हाथ से पकड़ कर बोला मनीष अपना ध्यान रखना । यही मेरी मैडम से आखिरी मुलाक़ात थी क्योकि मैं जान कर अगले दिन कोलेज नही गया था ।
मेरे रूम पर शाम 6:15 PM
विवेक: भाई अब तुम शर्त जीत गए , ओए प्रवेन्द्र चलो पैसे निकोले पार्टी है ।
मैं: रहने दो पार्टी मैं दे दूंगा , अभी मेरी तबियत ठीक नही है ।
मैं अपने रूम मे चला आया और दिवार पे लिख दिया " i have to do for somebody" और फ़िर मैंने पुरी मेकेनिकल ब्रांच मे उस साल टॉप किया और अपना वादा निभाया ।
शायद अब मेरी कहानी ख़तम हो चुकी है अगर कभी उनसे मुलाक़ात नही हुई तो वैसे मेरे पास उनका email id होते हुए भी मैंने कभी उनको मेल नही की
चेतावनी :
इस कहानी के कुछ पात्र और घटनाएँ काल्पनिक है जिसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नही है ।
9 comments:
लास्ट मे चेतावेनी क्यो लिखी मुझे समझ नही आया। आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी । मैं चाहूंगी कुछ और ऐसा ही पढ़ने को मिले। आप एक अच्छे लेखक हो ।
कहानी का अंत मेरे अंदाजे से कुछ अलग है । लेकिन कहानी अच्छी है ।
good we would like to have more stories on your blog. the way you ended your story is nice.
i wanted to have happy ending.
story is awsome why don't you try to publish.
kuch aur likhate rehaiyega.
although i read entire story . but this is only time i writing comment.
my comment to you ( on your writing ) is you are superb writer
very well written story, i just want to see more of such stories from your pen.
So good story .. but with sad ending .. give it to Yash Chopra he will make a beautiful Love story on the same ....
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