Saturday, October 18, 2008

कुछ मैं और कुछ वो.....८




ऐसे ही बेहतरीन कुछ दिन मेरी लाइफ मे आए , लेकिन इन बेतरीन दिनों के साथ साथ End Semester Exmas भी उतनी ही तेजी से आ गए। और अबतक मैंने कोई खास पढ़ाई नही की थी और करता भी कैसे पढ़ाई के लिए टाइम ही नही मिलता था । उन दिनों कुछ दोस्त PSUs के फार्म फिल कर रहे थे और मेरे कोलेज के कुछ नए टीचर्स भी । मैंने बड़ी मेहनत से पता कर लिया की निमिषा मैडम भी BHEL का फॉर्म भर रही थी , और बातों ही बातों मे उन होने मुझे यह भी बता दिया की वो दिल्ली मे PSUs के EXAMs देना प्रेफेर करती थी । हालकी मैं कभी भी PSUs की जॉब प्रेफेर नही करता था लेकिन मैडम ने फॉर्म डाला था तो मैंने भी फॉर्म भर दिया । बनारस सेंटर होते हुए भी मैंने दिल्ली सेंटर डाला । मैं बहुत खुश था की ट्रेन मे साथ जाने को मिलेगा ।



DAY40 (शायद )
रात 11:00 PM प्लेट फॉर्म नम्बर ५ , कानपूर रेलवे स्टेशन



मैं और मेरे दोस्त साथ मे कुछ सर लोग और कुछ मैडमें प्लेट फॉर्म नम्बर ५ पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे ।
मैं एक बुक स्टाल पर खड़ा कुछ किताबें पलट रहा था , तभी प्रवेन्द्र आया ।



प्रवेन्द्र: अबे तुम्हारी मैडम आ गई ।
मैं : हाँ पता है
प्रवेन्द्र : अबे बात नही करोगे क्या ।
मैं: सेल देखता नही है वो साला भावेश ( टीचर ) कब नही नही हट रहा । कोलेज मे भी हमेशा चिपका रहता है है और यहाँ भी ।
प्रवेन्द्र : अभी चला जाएगा
मैं: क्या चला जाएगा । वो जाएगा तो कोई और आएगा साला ऐसा लगता है की सारी दुनिया को वही आज काम है
प्रवेन्द्र: तो तुम बाद मे मिल लेना ।
मैं: हाँ यार बाद मे मिलूँगा अभी जरा कोच तो कन्फर्म कर लूँ ।
तभी रेलवे द्वारा उदघोषणा हुई ।


उदघोषणा : (बड़े ही मीठे स्वरों मे ) यात्रीगण कृपया ध्यान दे,गया से चल कर को नई दिल्ली जाने वाली 2397 अप MAHABODHI EXP कुछ ही समय ने प्लेटफॉर्म नम्बर पाँच पर आ रही है ।



प्रवेन्द्र : अबे चल सब साथ हो लेते है।
मैं: हाँ चल , ................ अच्छा तू चल मैं आ रहा हूँ ।
प्रवेन्द्र : ये सब बाद मे कर लेना ।
मैं: अबे देख तो लूँ किस तरफ़ जा रहीं है ।
प्रवेन्द्र ; अच्छा देख लेते है , लेकिन यार वो तो अभी भी वहीँ खड़ी है ।
मैं: सब तुम्हारी तरह जल्दी बजी नही करते.......



उदघोषणा : (बड़े ही मीठे स्वरों मे ) यात्रीगण कृपया ध्यान दे,गया से चल कर नई दिल्ली को जाने वाली 2397 अप MAHABODHI EXP कुछ ही समय ने प्लेटफॉर्म नम्बर पाँच पर आ रही है ।


प्रवेन्द्र : चल ।


मैं : तू चल मैं आता हूँ।
प्रवेन्द्र : ठीक है मैं तो चला ।
मैं वही खड़ा था उसी बुक स्टाल पर , बुक वाले ने भी पूछ लिया भइया कुछ लेना है तो रुको नही तो कोई किताब मत खोलो ।
मैं: (झल्लाते हुए ) INDIA TODAY दे दो।



मैंने जेब से १० का नोट निकाल कर उसे दिया तब तक ट्रेन की आवाज़ सुने दी ॥पों ..................पों , असा लगा जैसे भूचाल आ गया हो । पर मैडम अभी भी वही खड़ी थी बिना किसी Reaction के और साथ मे मिस्टर भावेश भी थे , कई बार कोलेज मे इनके चर्चे सुनने को मिल चुके थे । पर मुझे ख़ुद पर मिस्टर भावेश से ज्यादा विस्वास था ।



अभी मुझे ख़ुद की काबलियत पर शक होना सुरु ही हुआ था कि ....



उदघोषणा : (बड़े ही मीठे स्वरों मे ) यात्रीगण कृपया ध्यान दे, नईदिल्ली से चल कर मुज़फ्फर पुर को जाने वाली 4006 अप LICHCHAVI EXP कुछ ही समय ने प्लेटफॉर्म नम्बर चार पर आ रही है ।
और मैंने देखा कि निमिषा मैडम ने मेरी ओर नज़रे गुमाईऔर इशारे से चलने को बोला । फ़िर



उदघोषणा : (बड़े ही मीठे स्वरों मे ) यात्रीगण कृपया ध्यान दे, नईदिल्ली से चल कर मुज़फ्फर पुर को जाने वाली 4006 अप LICHCHAVI EXP कुछ ही समय ने प्लेटफॉर्म नम्बर चार पर आ रही है ।



मैं अब समझ चुका था मामला उल्टा हो गया है । उनके पास बनारस की टिकेट थी और मेरे पास दिल्ली की अब क्या किया जा सकता था, अब तो ट्रेन भी छुटने वाली थी ।



थोडी देर बाद का नज़ारा कुछ इस तरह था मैं एक ट्रेन की खिड़की पर और वो दुसरे ट्रेन की खिड़की पर ........ दो पल रुका ख्वाबों का कारवां और फ़िर चल दिए तुम कहाँ........ हम कहाँ ।
हम केवल एक दूसरे को सी ऑफ़ कर सके पर मेरे दोस्तों को पूरी रात मेरा मजाक उड़ने का अच्छा मसाला मिल गया था ।




3 comments:

Anonymous said...

try to complete story as fast as possible

Anonymous said...

yaar wt a happening it was with you , mindblowing

Anonymous said...

kya baat hai kal aapne likha nahi