Tuesday, October 14, 2008

कुछ मैं और कुछ वो ...............३

ऑटो रिक्शा यही कोई 30km/hr की स्पीड से चला जा रहा था मेरे मन मे आया ऑटो वाले को बोल दूँ कि भइया क्यों इतना तेज़ चला रहे हो ? पूरे६ दिन कि मेहनत के बाद तो कम से कम एक ही ऑटो मे बैठने को मिला है । जैसे जैसे ऑटो कि स्पीड और बढ़ रही थी मेरी ईश्वर के प्रति श्रधा भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रही थी ................ मैं ये सोच रहा था हे भगवान कुछ भी करके मुझे पीछे ( ऑटो की पिचली सीट पर ) भेज दो ।

माईल स्टोन नम्बर १ राम डेंटल कॉलेज बीत गया कोई नही उतरा और मेरी घबराहट और बढ़ गई । मैं ये सोच रहा था की साला इतने छोटे से सफर मे मैं कुछ भी कर के ऑटो मे पीछे बैठ जाऊँ। माईल स्टोन नम्बर २ कानपुर युनिवेर्सिटी के पास जैसे ही ऑटो को पीछे से एक बहुत ही अच्छे व्यक्ति ( कम से कम उस वक्त के लिए तो था ही ) ने रोकने के लिए कहा मेरी तो जैसे दिल की पतंग आसमां छूने लगी ।जब तक मैं नीचे उतरता ॥

निमिषा मैडम : (मुझे पीछे से अपनी जादुई उँगलियों से इशारा करते हुए ) पीछे आ जाओ ।

हाय मेरी तो साँस ही रुक गई थी

मैं: हां.............. हां अ॥ अ..... आया । (घबराते हुए)

और मैं पीछे जा कर ऑटो मे बैठ गया । ऑटो मे पीछे भगवान् की दया से आज कम भीड़ थी और शायद आज वो कुछ ज़्यादा ही मेहरबान था हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठे थे , हमारे पैर के गुठने एक दूसरे से टकरा रहे थे और मैं तो अपने पैर हटाना नही चाहता था और वो शायद हटा नही पा रहीं थी । आज उन्होंने हरे रंग का सलवार कुर्ता पहन रखा था वैसे अगर मुझसे कोई पूछे तो मैं तो यही कहूँगा की उनपर पिंक रंग ही सबसे अच्छा लगता था ।

माईल स्टोन नम्बर ३ कल्याण पुर क्रॉसिंग तक हम पहुच चुके थे और अभी तक कुछ बात भी शुरू नही हुई थी । वैसे मैं लड़कियों से बात करने मे कभी देर नही लगता हूँ पर वो एक टीचर थी । जितना अब तक मुझे याद है उसके अनुसार उनकी लम्बाई यही कोई ५ फीट ७ इंच के आस पास रही होगी , गोरी तो वो बहुत थी उनके कंधे तक बाल जब हवा मे लहराते थे तब शायद पूरा जमाना झूम जाता रहा होगा और आंखों पर चश्मा अच्छा लगता था । अभी तो मैं सामने बैठे हुए भी ठीक से उनको नही देख पा रहा था । ऑटो के कल्याण पुर क्रॉस करते हुए मैंने अपनी तरफ़ से बात शुरू की ।

मैं: आपने जल्द ही कोलेज जोइन किया है ।

मैडम: हाँ यही कोई २ महीने हो गए ।

मैं: तो क्या अकेली रहती है ।

मैडम: हाँ । मनीष नाम है तुम्हारा ।

मैं: हाँ , पर आपको कैसे पता ।

मैडम: हँसते हुए... तुम्हारे बारे मे तो मुझे सब कुछ पता है ।

मेरी तो जैसे जान ही निकल गई । मन ही मन न जाने कुछ सेकंडो मे क्या क्या मैं सोच गया और जब होश आया तो मैंने देखा कि हम माईल स्टोन नम्बर ४ IIT Kanpur के गेट तक पहुँच चुके थे ।

मैडम : तुम कोलेज के functions मे play और skit वगेरह मे बहुत हिस्सा लेते हो । पढने मे भी अच्छे हो , सुदेशना बता रही थी ।

मैं तो बिल्कुल खुश सा हो गया था क्योकि जो काम मैं शायद करने मे १० दिन और लगत वो सुदेशना मैडम ने बस थोडी बात मे ही कर दिया । अचानक ही मैं सुदेशना मैडम का बहुत शुक्र गुज़र हो गया था और ऐसा लगने लगा था की भगवान् मुझ पर उस दिन सारा प्यार लुटा देना चाहते थे ।


मैं:( थोड़ा खुश होकर ) हाँ कोलेज मे कोई भी function मेरे बिना नही होता।


मैडम: सुना है तुम बहुत अच्छे ऐक्टर हो ।


जब भी कोई ऐसा कहता था तो मैं सपनो मे चला जाता था तब A, B ,C, D ............................Z मे मेरे लिए बी फॉर बॉलीवुड ही होता था और जैसे बॉलीवुड के सारे डायरेक्टर मेरे लिए ही हाथ फैलाये खड़े हों ,सारी बड़ी बड़ी हिरोइन मेरे साथ ही फ़िल्म साइन करना चाहती हो । खास कर प्रीती जिंटा काश मुझे भी किसी फ़िल्म मे अपना ड्राईवर बना लिया होता । पर अभी मैडम मेरे लिए प्रीटी जिंटा थी , मैंने किसी तरह से अपने आप को सपनो से वापस खिंचा ।


मैं: हाँ , पर पता नही ।
मैडम: क्यो?
मैं: मतलब कुछ ही लोग बोलते है ।
मैडम: अच्छा मैं तुमसे कुछ पूछूं ।
मैं: ................
मैडम: नही नही पढ़ाई से related कुछ भी नही पूछूंगी ।
सच बोलूं मैं तो डर ही गया था की कहीं कुछ पढ़ाई वाला ही न पूछ बैठे ।
मैं : हां पूछिए।
मैडम: हो सकता है ये तुम्हारा पर्सनल मामला हो
मैं तो इसी सोच मे था की काश कोई पर्सनल मामला शुरू हो ।
मैं: हाँ ..........
मैडम: अरे ....... चलो बाद मे बाद करेंगे अभी तो कोलेज आ गया है ।


बहुत ज्यादा मैं दुखी हुआ , ऐसा लग रहा था की आज तो कोलेज जल्दी ही आ गया हो । काश की ऑटो रस्ते मे पंचर हो गया होता । फ़िर मैंने ख़ुद को दिलासा दिया चलो शुरुआत तो हुई । वैसे आखिरी माईल स्टोन हमारा कोलेज भी आ गया था ।

1 comment:

Rohit said...

Seriously yaar aise samay mein time jaldi nikal jata hain ....Aur manzil bhi jaldi aa jaati hain ...