Monday, September 29, 2008

संस्कारों का सागर है वो विद्या का मन्दिर

कुछ दिनों पहले मैं वही पुरे स्कूल गया था , असल में मेरी भतीजी वहा क्लास 2nd में है । मैं उसे स्कूल से लेने गया था तभी मैंने nursary section से prayer करने की आवाजें सुनी prayer कुछ इस तरह से थी।
दया कर दान भक्ति की हमे परमात्मा देना ...
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना ॥
हमारे ध्यान में आओ प्रभु आखों में बस जाओ॥
........................ कुछ देर बाद दूसरी prayer शुरू हो गई , इस बार मेरे दोस्त जरूर पहचान लेंगे की क्लास में टीचर कौन है Prayer कुछ ये है

... श्री राम .... श्री राम ...
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हार्ड भावः भय दारुणं ।
नव कंज लोचन कणमुख कर कंज padh कंजारुणं ॥
कंदर्प अगडित अमित छवि नवनील नीरज सुन्दरम ।
मम ह्रदय कंज निवास करू कामादि खल दल गंजनं ॥
.................. ................ ................ जी हाँ , प्रतिमा पाठक मैडम और स्कूल प्रिंसिपल , वैसे प्रतिमा मैडम जब हम क्लास ५ में पहुंचे थे तभी प्रिंसिपल हो गई थी । but she is an amazing women .... absolutely amazing!!!! मैंने ये इस लिए बोला क्योकि बच्चो में संस्कार किये डाले जातें है क्यो उनसे सीखे आज मुझे तक़रीबन १६ वर्ष हो गए आपना सबसे अच्छा और सबसे बेहतरीन सिक्षा देने वाला छोड़े हुए लेकिन उस दिन मुझे फ़िर से लगा की मैं एक छोटा बच्चा हूँ और उसी क्लास में फ़िर से आ गया हूँ , उन्ही संस्कारों के बीच ।

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