Wednesday, October 1, 2008

ख्वाबो खायालो के वो दिन

आज असित से orkut पर chatting हुई, मैंने उसको बोला की मेरा ब्लॉग पढता रहे मैं बहूत से राज़ लिखूंगा , बात तो सच है बहुत से ऐसे राज़ है जो सिर्फ़ मुझे ही पता है या जिनसे Related है उसको । पर अभी समय है मैं बाद में लिखूंगा ।
अभी तो मैं बचपन की यादों में ही खोया हुआ हूँ। स्कूल के अलावा मैं अपना समय कुछ मोहल्ले के दोस्तों के साथ बिताता था मेरे पास उनकी फोटोस भी है जब भी मौका लगा अपलोड करूँगा । मेरी बहार के दोस्तों में जो मुख्य नाम है वो है विक्की चाचा, प्रकाश चाचा ,गुड्डे और कुछ हद तक कंचूं । हमने बहुत मस्ती की हम जब शाम को खेलते थे तो ये भी नही पता चलता था की कब हो गई गई । अब थोड़ा बदल गया है पर हमारी फ़ोन पर बात हो जाती है लेकिन जो कुछ भी हमारी लाइफ में हुआ हमको सबका सब पता है।
esp मुझे तो सब पता है , किसने क्या क्या गुल खिलाये है पर ये तो सबकी लाइफ में होता है ................
जब हम कुछ बड़े हुए तो रोज़ मन्दिर जाने लगे ये आदत गुड्डे ने डलवाई थी पर सच बोलता हूँ गुड्डे भइया तुमने हममें बहुत अच्छी आदत दल दी थी , जिसपर हमारे घर वाले भी फक्र करते थे । न जाने मुझे ऐसा क्यों लगता था की सारी दुनिया मेरे लिए ही बनी थी यहाँ जो कुछ हो रहा है मुझे बेवकूफ बनने के लिए ही हो रहा था, सब बड़े हो रहे थे और मैं उतना ही था , मेरी क्लास बदल रही थी मेरी उम्र बढ़ रही थी फ़िर भी मुझे लगता था की मैं अभी भी छोटा हूँ। अब पता चला की काश छोटा ही रहता ...........
मैंने बहुत सारे सपने देखे थे कभी मैं सोचता था की मेरा घर महल की तरह का होगा .......... , मैं बॉलीवुड का बड़ा सुपरस्टार बनूँगा , मैं ही इंडिया का सबसे बड़ा क्रिकेटर बनूँगा etc. etc. बचपन सच ख्वाबों की दुनिया है कोई रोक टोक नही जो मर्ज़ी वो सोच लो जो मर्ज़ी वो कर लो
अब तो जैसे हर चीज़ पर पाबन्दी लग गई है ... सोचने पर भी क्योकि हमे अब अपनी लिमिट पाता चल गई है।

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