Sunday, October 12, 2008

कुछ मैं और कुछ वो ...

लगी शर्त मैं जोर से चिलाया .....................

सभी शांत हो गए , फ़िर मैंने अपने चारो ओर देखा मैं अभी यही सोच रहा था की लगता है मैं जोर से चिल्लाया हूँ तभी ॥

प्रवेन्द्र : चल लग गई शर्त पर कितने की

मैं: ये तुम लोग decide कर लो पर ये जान लो इस मामले मे मैं कभी हरा नही हूँ

दीपक: चलिए सर जी देख लेंगे आप क्या करते है

और धीरेन्द्र पत्ते बाटने लगा । हम यूँ ही पूरा टाइम बिता देते थे अपने इंजीनियरिंग के समय मे (मैं और प्रवेन्द्र तब 3rd year मे थे , मैं mechanical branch मे और प्रवेन्द्र EI मे था और हमारे साथ धीरेन्द्र , विकास और अतुल रहा करते थे ) कभी ताश खेलते हुए और कभी क्रिकेट । हा पढ़ते भी थे लेकिन केवल EXAMs के समय ।

अतुल और विकास एक साथ : सर ये लोग आपको चढा रहे है
मैं: कोई नही अब तो शर्त लग ही गई है
धीरेन्द्र: पर सर जी कितने दिनों की
दीपक: एक सेम की ।
मैं : चलो ठीक है ।


हम लोग ज्यादातर एक ही गेम खेलते थे लकड़ी ( ताश का गेम) पर एक आदमी को बैठना पड़ता था ज्यादातर तो अतुल को ही बिठाते थे और अगर कभी जोगी दादा आ गए तो वो भी खेल लेता था । गेम के रूल्स भी अजीब थे जो लास्ट आता उसे ४ गुलाब जामुन देने होते थे जो उसे ऊपर होता उसे ३ और इसी तरह २ और १ । हलाकि गुलाब जामुन सब मिल कर खाते थे । शर्त भी बड़ी अजीब सी थी कॉलेज की नई मैडम को पटना था , वैसे था बड़ा कठिन काम पर मैं मान गया था पर बाद मे शर्त कुछ नही रह गई थी बस पटना ही था उन्होंने नया नया ...... डिपार्टमेन्ट अभी जों किया था और जहाँ हम रहा करते थे वही पास की गली मे वो भी रहती थी ।


DAY 1


सुबह ८ बजे


मैं : ओये प्रवेन्द्र रुक जा यार मुझे नहाने जाना है
प्रवेन्द्र: अबे जल्दी किस बात की है थोड़ा रुक जाओ मैं जल्दी मे हूँ
मैं : अबे प्लीज़ मैं बस २ मिनट मे निकलता हूँ
प्रवेन्द्र : चलो ठीक है
लगभग १० मिनट बाद
प्रवेन्द्र: साले २ मिनट का बोल कर इतना टाइम लगा दिया
मैं : अबे यार समझेकर न आज शर्त का पहला दिन है
दीपक : क्या सर जी आज जल्दी किस बात की है
मैं : है न जल्दी
दीपक: मैं भी साथ चलूँगा
मैं: अबे तुम वह क्या करोगे जा कर
दीपक : नही सर जी मैं भी साथ चलूँगा
मैं : चलो
दीपक : अच्छा जाइये आपका मुझे ले जाने का मन नही है
मैं : सच तो यही है
अतुल: सर जी मैं तैयार हूँ मैं चलूँ
मैं: चलो भइया तुम ही चलो
मैं : ओके प्रवेन्द्र मैं जा रहा हूँ
प्रवेन्द्र : ओके ( बाल सुखाते हुए)
यही कुछ ५ मिनट के अन्दर मैं और अतुल , .... रेस्टुरेंट के सामने GT Road के दूसरी तरफ़
अतुल: सर जी चलिए नही तो collage के लिए देर हो जायेगी ।
मैं: तुम जाओ
अतुल: और आप , प्रवेन्द्र सर भी जा चुके है
मैं: कोई नही जाने दो
और वाकई मुझे देर हो गई लेकिन मैडम नही आई ।
collage पहुच कर ,
मैं: (दीपक से ) यार पता करना ........( मैडम का नाम बोलते हुए) मैडम नही आई है क्या ?
दीपक : ठीक है
और वाकई मैडम नही आई थी नही मैं तो डर गया था कि लगता है उन्होंने रहने का ठिकाना बदल लिया है क्या ?
वैसे मुझे इतना तो पता था कि कोई लड़की ज्यादा टाइम नही लेती पाटने मे लेकिन यहाँ गेम कुछ और ही था एक तो ज़्यादा उम्र ऊपर से मेरे ही collage की टीचर । सच बोलूं तो कुछ कुछ नया experience भी था ।
यही कोई ९:२० मिनट पर ( रोज़) मैं अकेले और कोई और नही है साथ मे सभी जा चुके है । हमारे यहाँ से यही कोई ५० मिनट लगता था collage तक पहुँचने मे तो सभी मुझे छोड़ कर चले जाते थे ।

DAY 2, 3 , 4 और 5


......रेस्टुरेंट के सामने GT Road के दूसरी तरफ़ ..........................
मैं: गुड मोर्निंग मैडम
मैडम: गुड मोर्निंग
इन चार दिनों मे हमारी कोई और बात नही हुई हलाकि वो जरूर समझ गई कि मैं यहाँ रोज़ उनके लिए ही रुक रहा हूँ
contd.............




7 comments:

Anonymous said...

Good Manish you have given a commendable start to the story. To the extent I know you it is really a new Manish as before this you have not written anything. But my advice to you is that please don’t make yourself as lead character because it give wrong message to the public, as your writing looks very true.

Anonymous said...

Good Start of the story

Anonymous said...

mast hai bahi jaldi se pura karo

Anonymous said...

अच्छा होता अगर आप ने मैडम का नाम बताया होता । आप ऐसा कर सकते हो कि कोई भी नाम मैडम को दे दो । थोड़ा पढ़ने मे और मज़ा आएगा ।

Anonymous said...

मेरा पहला Gtalk Flirt .... पूरा खेल was really interesting. i enjoyed a lot while reading. Please try to complete the stories in one day only.

dhirendra said...

hi sir
aapka blog padh k to college k din yaad aa gaye, wo flat jahan pehle patte phir cricket ka daur shuru hua tha, santro sir ka computer, exam times aur wo dudhwala,sir madam se baat hoti hai kya aajkal i know ek baar hum bus me chadh rahe the aur jagah bhi thi even hamne apko kaha bhi chadhne k liye par aap madam ko dekh to ruk gaye the
sir bahut saari yadein taza ho gayi

Anonymous said...

Well...your way of writing is very impressive...I aleady know most of it , your story still interests me !!