9 : 20 AM
मैं अब कभी भी यहाँ तक पहुँचने मे देर नही करता था अक्सर मैं और प्रवेन्द्र साथ ही आते थे। आज भी हम दोनों साथ ही थे पर
शायद आज प्रवेन्द्र जल्दी जाने के मूड मे नही था जैसे वो हमेशा करता था और मैं सोच रहा था की काश ये जल्दी से जाए , अब तक उसने दो रूट नम्बर २ बसे छोड़ दी थी यही बहाना बना के कि उनमे भीड़ है , सच बात ये थी कि वो देखना चाहता था कि हम लोग ( मैं और मैडम ) क्या क्या बातें करते है ।
9 : 40 AM
मैं: अबे जाएगा नही क्या ?
प्रवेन्द्र : यार कैसे जाऊँ आज तो बसों मे बहुत भीड़ है ।
मैं : वो तो रोज़ होती है ।
प्रवेन्द्र : होती तो है लेकिन आज कुछ ज़्यादा ही है ।
मैं: साले तुम्हारा जाने का मन ही नही है। एक बात और मैडम आए तो दूर जाकर खड़े हो जाना यहाँ मत रहना।
प्रवेन्द्र: ठीक है ।
कोलेज जाने का केवल यही रास्ता था तो हमे लगभग हर कोई रोड पर खड़ा हुआ देखता था और अब तो कोलेज मे भी कुछ स्टूडेंट्स ने बोलना शुरू कर दिया था। खासकर वो लोग जो मुझे अच्छी तरह से जानते थे ।
लेकिन इन बातों का असर मुझ पर कभी नही पड़ा । मैंने कभी समाज के साथ चलने कि कोशिश नही कि थी मैं तो बस अपनी ही धुन मे मस्त रहता था । तभी तो एक बार अच्छा खासा धोखा खा चुका था ।
मैं: यार आज अभी तक मैडम नही आई, मेरी घड़ी मे तो 9:50 मिनट हो रहे है ।
प्रवेन्द्र : अबे आज छुट्टी पर होंगी ।
मैं: पता नही ।
प्रवेन्द्र : पता नही तो चलो कोई भी ऑटो कर के नही तो देर हो जायेगी
मैं: चलो चले ।
हमने एक ऑटो पर चढ़ गए । आज प्रवेन्द्र कुछ सीरियस लग रहा थातो मौंका देख कर मैंने पुछा
मैं: क्या हुआ कोई बात ?
प्रवेन्द्र: नही बस यूं ही ।
मैं: बोलो बोलो , पूर्वी से बात हुई क्या ?
प्रवेन्द्र : हाँ कल हुई थी ।
मैं: साले तो तुम अब बता रहे हो ।
अब जा कर मुझे समझ आया कि आज प्रवेंद्रे ने इतनी बसे क्यो छोड़ दी थी ? बात कुछ सीरियस थी ।
मैं: क्या हुआ ?
प्रवेन्द्र: कल वो ख़ुद मेरे पास आई थी और बोलने लगी कि तुम मुझे अब ईमेल मत करना ।
मैं: अबे यार कल से आज तक तूने नही बताया । चल छोड़ अब बता क्या हुआ?
ऑटो मे आज सिर्फ़ हमने दो ही बैठे थे ओ उसको मुझसे बात करने मे कोई दिक्कत नही हो रही थी ।
प्रवेंद्र्स: यार हुआ क्या मैंने भी बोल दिया ठीक है मैं नही करूँगा ।
मैं: तो अब ।
प्रवेन्द्र: तो अब क्या ? अब आका बूल रहे है कि वो ट्राई करेंगे।
आका ( AKA) मतलब अक्षत कुमार अग्रवाल (akshat kumar agrawal) प्रवेन्द्र के क्लास मेट और मेरे अच्छे दोस्त । आका थे ultimate बक... (हमारी लैंगुएज मे ) , बस जिस चीज़ के पीछे लग जाए उससे ही हासिल कर के छोड़ते थे । हमने कोलेज पहुँच ही गए थे और मेरे दिमाग से निमिषा मैडम के कोलेज से छुट्टी लेने वाली बात नही निकल रही थी । हांलाकि ये कोई बड़ी बात नही भी हो सकती थी पर प्यार मे घबराहट होने लगती है ।
मैं: प्रवेन्द्र यार कोलेज आ गया है इस मामले मे बाद मे बात करते है चल दौड़ क्लास छूट रही है प्रवेन्द्र: हाँ चल ।
प्रवेन्द्र दौड़ कर अपनी क्लास मे चला गया, पर मैं भी दौड़ा पर क्लास कि तरफ़ नही बल्कि electrical department के टीचर्स रूम कि तरफ़ ये देखने कि कहीं मैडम पहले तो नही आ गई , दिमाग ने न जाने क्या क्या ख्याल आ रहे थे कहीं उन्होंने अपना घर तो नही बदल दिया या कहीं वो लम्बी छुट्टी पर तो नही चली गई । मैं अभी electrical department के टीचर्स रूम तक पहुँचा भी नही ता कि रस्ते मे मीत मैडम मिल गई ।
मीत मैडम: कहाँ भागे जा रहे हो ।
मैं: कहीं नही ।
मीत मैडम: चलो क्लास मे जाओ ।
मैं: हा जाता हूँ।
मीत मैडम: चलो क्लास मे जाओ । ( डांटते हुए)
मेरी सिट्टी पिट्टी गम हो चुकी थी मैं वापस क्लास रूम कि तरफ़ भगा । क्लास भी किसकी थी
prof . P.N.KAUL आज अब मुझे पूरा विश्वास हो रहा था कि भगवान् जी आज जरूर कुछ नया गुल खिलाएंगे। क्लास मे पहुंचाते ही मैंने क्या देखा कि kaul सर मिड सेमेस्टर कि कंपिया दिखा रहे थे । और मेरे एक और अच्छे दोस्त राहुल सक्सेना जी मेरी और कुढ़ दोनों कि कापिया जांच रहे थे । राहुल हमारे क्लास काल टॉपर था और मेरा बहुत अच्छा दोस्त मुझे लगता है पूरे क्लास मे मेरा ही सबसे अच्छा दोस्त था वो ।
मैं: सर मे आई कम इन?
कौल सर : आइये आइये ।
मेरे दिल कि धड़कन ने तेज़ी से दौड़ना सुरु कर दिया था और कौल सर को देखने के बाद तो सारा प्यार अब उड़ चुका था । कौल सर कि पेर्सोनालिटी कुछ इस तरह से थी लगभग ५ फुट ८ इंच लंबे , गोरे, यही कोई ६० साल उम्र , सर पर कम बाल और पैंट ऊपर लंबा कुरता । पेर्सोनालिटी मे कोलेज के सबसे dashing पुरूष टीचर । उनको देख कर पूरा कोलेज घबरा जाता था तो मेरे प्यार कि क्या बात थी। प्यार कब गायब हो चुका मुझे पता भी नही चला था ।
उसी दिन लंच के वक्त तक मैंने पता कर लिया था कि मैडम दो दिन leave गई हुई थी । पर उन्होने मुझे बताया नही था पर मैंने अपने सभी दोस्तों को यही बताया था कि वो मुझे बता कर गई थी । आख़िर इज्ज़त का सवाल जो था।
contd.............
27 Years old living in Vadodara(India) and working in MNC, Like others my story is also same the shift from needy child to selfreliant adult. There were struggles in finding an identity, carving a future, meeting a mate, friendship upheavals and job distresses. I believe in persevering when all the odds are against you, when every cell in your body tells you that you can't, but you go ahead and do anyway. I believe in taking risks and embracing a life of uncertainity.
Wednesday, October 15, 2008
कुछ मैं और कुछ वो .................५
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4 comments:
plz complete this story asap...I want to know its end (that is something, I really dont know)
yaar aise khatanak teacher har collage me kyo? hote hain.
wiase aap accha likhate ho
main kuch kuch andaja laga sakta hun ki story ka end kya hoga .
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